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बुधवार, 1 अगस्त 2018

शिव-शक्ति श्रावण मास में भगवान शिव और माँ पार्वती से क्या सम्बंध है?

 श्रावण मास में हरियाली तीज श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि जो कि अगस्त में मनाई जाएगी।
 मां पार्वती के शिव से मिलन की स्मृति में यह त्यौहार मनाया जाता है। यह त्योहार पश्चिम भारत में अधिक मनाया जाता है इसमें सुहागन स्त्रियां ख़ासकर नवविवाहित महिलाएं इस त्यौहार को ज्यादा महत्व देती है वह मेहंदी आदि लगाकर और विशेष श्रंगार करती हैं और अपने मायके जाति है वहां जाकर शिव पार्वती की विधिवत ढंग से पूजा अर्चना की जाती है देखा जाए तो सनातन धर्म में हर त्यौहार और वर्क का कोई ना कोई अर्थ है इसमें वैवाहिक जीवन से जुड़े मुद्दे जिनमें पति पत्नी के बीच मनमुटाव आदि को ध्यान में रखते हुए यह त्योहार मनाया जाता है इसमें पति पत्नी के बीच एक दूसरे के प्रति पोस्ता का भाव नष्ट होता है आध्यात्मिक रूप से यह मन दिमाग और बुद्धि को बड़ा था है देखा जाए तो यह ग्रहस्थ जीवन बाकी दुनिया के सभी आश्रमों में श्रेष्ठ है। शास्त्रों में वर्णन मिलता है की मां पार्वती ने 107 जन्म लिया फिर भी भगवान शंकर से उनकी शादी नहीं हो पाई फिर मां पार्वती को 108 बार जन्म लिया और अपनी कठिन तपस्या से भगवान शिव को प्रसन्न कर शिवजी ने पार्वती को अपनी पत्नी माना। इस त्यौहार पर या इस चीज पर इसे हम हरियाली तीज भी कहते हैं तीन बुरी बातों को हमेशा दूर रखना चाहिए किसी से झूठ बोलना धोखा देना बुरा व्यवहार करना और किसी की बुराई करना श्रावण मास प्रकृति में रचा-बसा तीज हरियाली का त्योहार है। इस दिन महिलाएं झूले पर झूलते हैं और शिव पार्वती से जुड़ें लोकगीत गाती है यह त्यौहार 1 से 2 दिन मनाया जाता है ।परंतु आज की व्यस्त जिंदगी में खासकर शहरों में यह त्यौहार 1 दिन के लिए मनाया जाता है। इस त्यौहार में अविवाहित लड़कियां भी व्रत रखती हैं और अपने लिए भगवान से अच्छे पति की कामना करती हैं  और जो विवाहित महिलाएं होती हैं वह अपने घर जाकर श्रृंगार सामग्री लेते हैं इसे सिंघारा कहा जाता है। जिस युवती का विवाह हो चुका होता है उसकी ससुराल से 30 संबंधित सामान जरूर भेजा जाता है ।राजस्थान के जयपुर नगर में तीज माता की सवारी भी निकाली जाती है और यह त्योहार नेपाल में भी बहुत धूमधाम से मनाया जाता है।

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