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रविवार, 24 जून 2018

Hyper acidity एसिडिटी (अम्ल पित्त) के कारण,आयुर्वेद के अनुसार इलाज ।

Hyper एसिडिटी या अम्ल पित्त क्या होता है?

आयुर्वेद सहिंताओ में इसे अम्ल पित्त नाम से जाना जाता है । आचार्यो ने इसे शरीर मे पित्त(एसिड)दोष की व्रद्धि होने के कारण यह रोग होता है।ऐसा वर्णन किया है,आजकल की दिनचर्या में बदलाव के कारण यह रोग अधिक मात्रा में लोगो मे मिलता है। इसके मुख्य कारण है बाहर का खाना, पिज़्ज़ा,फ़ास्ट फ़ूड, अधिक तली हुई चीज़े,मैदे से निर्मित खाने की वस्तएं, मांस आदि।
एक स्थान पर बैठे रहना इसके प्रमुख कारण है। इस रोग में आहार आमाशय में पहुंचकर पित्त(एसिड) दोष के विदग्ध होने के कारण अम्लीय हो जाता है और एसिडिटी रोग को उत्त्पन करता है। आमाशय में उपस्थित फ्री Hcl की मात्रा बढ़ी हुई होती हैं । यदि टोटल एसिड बढ़ जाता है, फ्री Hcl बढ़कर stomach में inflammation उत्पन्न करके Gastritis उत्पन्न करता है। एसिडिटी के रोगी में आमाशय में free Hcl अधिक

1- एसिडिटी होने के कारण--

* अधिक गर्म और अम्लीय पदार्थों का सेवन।
* स्मोकिंग, चाय, कॉफी, का सेवन अधिक मात्रा में करना।
* indigestion खाने का सही तरह से पाचन न होना।
* उड़द कि दाल का अधिक सेवन।
* शराब का अधिक सेवन, तेज मशाले, मिर्च,मैदे वाली,कोल्डड्रिंक्स,वस्तुएं। ये इसके मुख्य कारण है।

एसिडिटी के लक्षण--

* अविपाक(खाना ना पचना)
*Heart burn , hiccough (हिचकी), उल्टियां ,     anorexia, pain in epigastrium(पेट दर्द),   Nausea(खाने में रुचि ना होना)
* खट्टी डकारें आती है, हर,पीले ,नीले और काले रंग की उल्टी होना।
* गले मे जलन, सर दर्द, हाथो पैरों में उष्णता, बुखार आदि।
* मुख में पानी का अधिक मात्रा में स्राव होता है।

ट्रीटमेन्ट इलाज आयुर्वेद दवाइयों के द्वारा---

सबसे पहले जिन करने से एसिडिटी होता है उनका परहेज करें।
1-अविपत्तिकर चूर्ण , हरीतकी चूर्ण, त्रिफला चूर्ण, आमलकी चूर्ण, सतावरी चूर्ण, इनमे से कोई भी एक का सेवन गर्म पानी से 3-6 ग्राम की मात्रा में करे।
2- नारिकेल खण्ड - नारियल, मिश्री।
* पिपली खण्ड - पिपली, शतावरी , शर्करा। और शुंठी खण्ड का सेवन करे।
3- चने का सत्तू, शहद, दूध , करेला, निम्बू पानी, पेठा, और हरी सब्जियों का सेवन करे।

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